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M.N. Clubwala v. Fida Hussain Saheb, 1964

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M.N. Clubwala v. Fida Hussain Saheb, (1964) 6 SCR 642, 651 This case interpretation/case summary is written by Ms. Swati Sharma a student at the Faculty of Law (Delhi University). If you also want to publish your articles or case interpretations/summaries, send your work to  niyamskanoon09@gmail.com . Case Details PETITIONER:  MRS. M. N. CLUBWALA AND ANR. Vs. RESPONDENT: FIDA HUSSAIN SAHEB AND ORS. DATE OF JUDGMENT: 03/02/1964 BENCH: MUDHOLKAR, J.R. SUBBARAO, K. CITATION: 1965 AIR 610 1964 SCR (6) 642 Introduction   The case of M.N. Clubwala v. Fida Hussain Saheb (1964) under the Delhi Rent Control Act is a landmark judgment that clarifies the distinction between a lease and a license and the jurisdiction of the Rent Controller. The primary issue in this case was whether the agreements between the landlord (M.N. Clubwala) and the shopkeepers (Fida Hussain Saheb) created a lease or a license.  Facts of the Case M.N. Clubwala (Landlord) used his building as market by

दिल्ली उच्च न्यायालय: पति को नामर्द कहना माना जायेगा मानसिक क्रूरता ?

 पति को नामर्द कहना माना जायेगा मानसिक क्रूरता

 26 दिसंबर 2023

 न्यायमूर्ति सुरेश कुमार और नीना बंसल की खंडपीठ ने कहा 

    • दहेज की मांग , विवाहतेर संबंधों के आरोपों के साथ पति को नपुंसकता साबित करने के लिए मजबूर करना और उसे महिलावादी करार देना मानसिक पीड़ा देने के लिए पर्याप्त हैं।
  • यह फ़ैसला एक महिला द्वारा दायर अपील के जवाब में आया। जिसमे क्रूरता के आधार पर अपने पति को तलाक देने के 'पारिवारिक अदालत' के फेसले को चुनौती दी गयी ।
  • 2000, में शादी करने वाले इस जोड़े का एक बेटा हैं। लेकिन  जोड़े के विवाद शादी के थोड़े समय बाद ही शुरू हो गया था जिसकी वजह से वो दोनो साथ 13 महीने ही रह पाए 
  • सभी सबूतों को ध्यान में रखते हुए खंडपीठ ने महिला की याचिका को खारीज करते हुए कहा की
      • पति के खिलाफ पत्नी के आरोप अपमानजनक और निराधार थे।
      • पति क्रूरता के कृत्यों का शिकार था, इससे वह हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13(1)(ia) के तहत तलाक का हकदार हो गया।

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