गांव से निकल के शहर को आए
गांव से निकल के शहर को आए
ले आए संग अपनी मासूमियत को
थे भरे हुए उत्सुकता से
हुए दूर परिवार से भी पहली बार
सुना था कानून की दुनिया में
करने के लिए अपने सपने साकार
जुड़ना होगा सबसे
शुरू हुई बात उसी समय से
कुछ लोग ने चाहा सिर्फ फायदा अपना
और हम सोच बैठे,
सब हैं कितने अच्छे।
नहीं समझ पाए बात घर वालो की
जब आते हैं घर से बाहर
छूट जाते ह सब रिश्ते वही
अपनी जिंदगी बनाना और बिगाड़ना
हो जाता हैं निर्भर हम पे
देके भी दोष सबको
क्या कर लोगे तुम
तो है मेरे दोस्त ध्यान रखो इन बातो का
ना भूलो उस मकसद को आए हों जिसके लिए तुम
ना भाग सबके पीछे
जब बनेगा काबिल लोग आएंगे तेरे पीछे-पीछे।।
इस कविता से समझ गए होंगे आप, की कैसे जिंदगी बदल जाती है, जब गांव से शहर के लिए निकलते है हम, कितना संभालना होता हैं।
आप भी अपने सपने पुरे करने के लिए गांव से शहर तो कुछ शहर से शहर आए होंगे, मकसद हमारा अपना सपना होता हैं। जिसके लिए निकलते हैं हम, लेकिन बाहर की दुनिया हावी होती हैं हम पे, जब निकलते है एक नई उत्सुकता के साथ, उस समय अगर हम अपने आप को संभाल लेते हैं या जब हमे इतनी समझ न हो तो परिवार की सुन लेते हैं , या उन लोगो की जो हमारे लिए हमेशा अच्छा सोचते है तो जिंदगी बन जाती हैं अपनी, हमेशा ध्यान रखो रहना है अनुशासन में, अपनी जिंदगी में बनाए गए नियम को करना है पालन,
जगह बदलती ह और कुछ नहीं, जहा थे आप वहा भी संभालना था और जहा हो वहा भी संभलना है, हमेशा सब नहीं होंगे आपके साथ, आपको ही सीखना होगा कैसे संभालना है।
अब अगर कोई भी गलती आपसे हो गईं हो तो भी घबराने की जरूरत नही है, ध्यान रखो आगे कुछ गलत न हो , उस गलती या जो भी घटना हुई है उसको कैसे सुधार सकते हो, जो भी होता उसके पीछे कुछ तो कारण होता ही है, अब अच्छा सोचेंगे तो सब अच्छा ही होगा ,और बुरा सोचेंगे तो चिंता या पेरशानी बढ़ेगी।
आपने जो किया या जो हुआ उसको नहीं बदल सकते हो , लेकिन अब जो होगा उसको बदल सकते है ,और बना सकते हैं अपना अच्छा भविष्य ,अब नियमों का पालन करते हुए चलो सब अच्छा ही होगा ।
(ये कविता लोगों का अनुभव सुनके और कुछ अपने खुद के अनुभव से लिखी गईं हैं।)
लेकिन जब मिल जाय गलत लोग।
तब आता ह बदलाव
कर लेते ह सब उसको छोड़ के जिसके लिए आए थे हम।