ना बने समाज को
समझना मजबूरी।
इसलिए ही
समाज को पढ़ना जरूरी।।
जो नहीं पढ़े
जी रहे उन्हीं पुराने खयालों में।
देखते हैं दुनिया
लेकिन नहीं समझते।
बदलाव ही तो
देन प्रकृति की।
समाज नही चाहता
बदलना अपने विचारो को ।
जो बनाए इसने
जाति, लिंग, धर्म के बारे में।।
आज (LGBTQ) करते है
कोशिश छिपाने की पहचान अपनी।
क्युकी आ गया उनको समझ
की जब समाज में आएंगे वो बाहर।
करेंगे प्यार अपने ही लिंग को
तो नही समझ पाएगा समाज उनको
की क्या गलती उनकी
जब हार्मोन्स में हुआ बदलाव।
समझ रहे ह ये भी
की आज भी नही बदला सामाज।।
ना बदली उनकी सोच
ना बदली उनकी धारणाएं।
आज भी हो रहा है
भेदभाव।
समाज में बदलाव के लिए
पढ़ना और पढ़ाना हैं जरूरी।
बदलाव की करो शुरुआत खुद से
खुद के परिवार से।
परेशानी आयेगी बहुत
लेकिन जीतोगे जरूर।